खेमराज शर्मा : शिमला
पुलिस कांस्टेबल भर्ती पेपर लीक मामले में पकड़े गए अभ्यर्थियों पर ब्लैक लिस्ट होने की तलवार लटक गई है। अगर कोर्ट से इन्हें क्लीन चीट नहीं मिलती है तो भविष्य में ये कभी भी सरकारी टेस्ट नहीं दे पाएंगे। पुलिस पेपर लीक मामले में एसआईटी अभी तक 63 अभ्यर्थियों को पकड़ चुकी है। पुलिस कांस्टेबल भर्ती पेपर लीक मामले में अभी तक 100 के करीब आरोपियों को पकड़ा जा चुका है। इसमें सबसे ज्यादा गिरफ्तारियां कांगड़ा जिला में हुई हैं। इसके बाद सोलन जिला में सबसे ज्यादा गिरफ्तारियां हुई हैं।
ऐसे में अब पकड़े गए अभ्यर्थियों को अपने भविष्य की चिंता सताने लग गई है। गौरतलब है कि पेपर लीक मामले में जो भी अभ्यर्थी पकड़े गए हैं उन्होंने यह कबूल कर लिया है कि पेपर उन्हें परीक्षा से पहले रटाया गया था। जांच में यह भी खुलासे हुए हैं कि पेपर हिमाचल से बाहर उन्हें पढ़ाया गया, जिसके बाद उन्होंने परीक्षा दी और टॉपर बने। जांच में यह भी सामने आया है कि जिन्होंने पुलिस परीक्षा में टॉप किया उन्हें सीएम के गृह जिला और देश के गृह मंत्री तक का नाम पता नहीं है।
फिलहाल अब देखना यह है कि कोर्ट से अभ्यर्थियों को लेकर क्या निर्णय आता है। अगर न्यायालय ने अभ्यर्थियों को क्लीन चीट दे दी और उन्हें आरोपी नहीं बनाया तो यह दोबारा से सरकारी पेपर दे सकेंगे। अगर कोर्ट ने इन्हें आरोपी बना दिया तो यह पेपर नहीं दे पाएंगे। ऐसे में इन सभी पर ब्लैक लिस्ट की तलवार लटक गई है।
एसआईटी ने पेपर कमिटी से मांगे सवालों के जवाब
शिमला। हिमाचल प्रदेश पुलिस कांस्टेबल भर्ती पेपर लीक मामले में एसआईटी ने अपनी जांच को एक और कदम आगे बढ़ाया है। एसआईटी ने पेपर सेट करने वाली दो कमिटियों के अधिकारियों से सवालों के जवाब मांगे हैं। एसआईटी अब इन सवालों के जवाब का इंतजार कर रही है। इसके बाद ही आगामी कार्रवाई की जाएगी। कांस्टेबल पेपर करवाने में पुलिस की दो कमिटियां गठित की गई थीं। इसमें एक कमिटी ने पेपर सेट किया था और दूसरी ने पेपर प्रिंटिग के लिए दिया था। संदेह इसलिए हो रहा है कि क्योंकि अभी राजस्थान से जो किंगपिन पकड़ा जाना है।
उसके पास पेपर कैसे पहुंचा। पुलिस का कहना है कि सोलन में जो पेपर लीक हुआ उसमें इसका अहम रोल है। यहां पर 7 अभ्यर्थियों को इसने पेपर 3-3 लाख में मुहैया करवाया था। ऐसे में अब सवाल यह उठ रहा है कि आखिर राजस्थान तक हिमाचल पुलिस कांस्टेबल का पेपर कैसे पहुंच गया। दोनों कमिटियों के अधिकारियों से अगर सवालों के जवाब सही नहीं पाए गए तो बाद में इन्हे पूछताछ के लिए भी बुलाया जा सकता है।
बड़ा सवाल यह है कि आखिर क्यों एसआईटी ने कमिटी से सवालों के जवाब मांगे हैं। क्या एसआईटी अधिकारियों से सीधे पूछताछ करने से कतरा रही है। अगर ऐसा है तो एसआईटी किस तरह से जांच कर रही है। क्योंकि पहले ही यह सवाल उठते रहे हैं कि जूनियर पुलिस अफसर कैसे अपने सीनियर अफसरों से पूछताछ कर पाएंगे। फिलहाल देखना यह है कि एसआईटी अब आगे क्या करती है।