राजेश मंढोत्रा। शिमला:
हमारे समाज में घर कर गया जातिप्रथा का डंक मंत्री-विधायकों तक को नहीं छोड़ता। ऐसी ही एक घटना हिमाचल विधानसभा में विशेष सत्र के दौरान मंगलवार को उछली। मौका था विधानसभा और संसद में एससी-एसटी आरक्षण की मियाद बढ़ाने के लिए लाए गए विधेयक के अनुसमर्थन का।
मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर की ओर से लोकसभा और राज्यसभा में पारित विधेयक को सदन में रखने के बाद कई विधायकों ने अपनी बात रखी। इनमें से एक थे राज्य के सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री डॉ. राजीव सैजल। बेशक मंत्री हैं, लेकिन हैं एससी समुदाय से। उन्होंने किस्सा सुनाया कि वह हाल ही में मंडी जिला के नाचन विधानसभा क्षेत्र के दौरे पर थे। जहां से एससी समुदाय के ही भाजपा विधायक विनोद कुमार हैं। लेकिन हम भी इस दौरे के दौरान एक प्रसिद्ध मंदिर में नहीं जा पाए। उन्होंने कहा कि ऐसा नहीं था कि उन्हेंं रोका गया, लेकिन खुद ही महसूस हुआ कि लोग बुरा न मान जाएं।
उन्होंने कहा कि आज भी ये भावना मौजूद है। केवल भारत ही ऐसा मुल्क है, जहां जन्म के आधार पर ही ऊंच-नीच का फैसला हो जाता है। वजह ये जातिवाद है। उन्होंने कहा कि इस दिशा में चुने हुए प्रतिनिधियों की जिम्मेदारी ज्यादा है। इस भावना को एससी समुदाय को ज्ञान और शक्ति देकर ही दूर किया जा सकता है। किसी कानून से नहीं। इससे पहले एससी समुदाय से भाजपा विधायक बलबीर चौधरी ने मुख्यमंत्री और विधानसभा अध्यक्ष से आग्रह किया कि आज भी दलित वर्ग ग्लानि की माहौल से निकल रहा है। लेकिन सोशल मीडिया पर अब भी अमर्यादित टिप्पणियां हो रही हैं। इन्हें बंद करवाया जाए।
‘सुच्ची’ धाम रखी है मैडम, आ जाना प्लीज
कांग्रेस विधायक आशा कुमारी ने कहा कि जातिप्रथा का असर कम करने की जिम्मेदारी दलितों से ज्यादा स्वर्णों पर हैं। हमें अपनी मानसिकता को बदलना होगा। अन्यथा केवल आरक्षण भर देने से कुछ नहीं होगा। उन्होंने कहा कि हमारे चंबा में भी एससी समुदाय के लोग अपने यहां शादी ब्याह पर ऐसे बुलाते हैं कि सुच्ची धाम फ्लां डेट को रखी है मैडम, आ जाना। सुच्ची मलतब जिसे पंडित बनाते हैं। लेकिन मैं धाम में कोई भेद नहीं करती।