250 करोड़ का छात्रवृत्ति घोटाला
हिमाचल दस्तक ब्यूरो। शिमला : सीबीआई द्वारा हिमाचल में 250 करोड़ के छात्रवृत्ति घोटाले की जांच सिर्फ 22 शैक्षणिक संस्थानों तक सीमित किए जाने के मामले में सीबीआई ने सीलबंद लिफाफे में अपनी रिपोर्ट अदालत के समक्ष पेश की।
जनहित याचिका के माध्यम से अदालत को बताया गया कि 250 करोड़ के छात्रवृत्ति घोटाले में कुल 2772 शैक्षणिक संस्थान हैं, लेकिन राज्य सरकार ने सिर्फ 22 शैक्षणिक संस्थानों की जांच का जिम्मा सीबीआई को सौंपा। सीबीआई ने अदालत से गुहार लगाई थी कि चूंकि वह मामले कि जांच कर रही है तो इस स्थिति में उसे सील बंद लिफाफे में रिपोर्ट पेश करने की अनुमति दी जाए ताकि उनके द्वारा की गई जांच सार्वजनिक न हो। जनहित याचिका में प्रार्थी ने छात्रवृत्ति घोटाले के बारे में दैनिक समाचार पत्रों में छपी खबरों को भी सलंग्न किया है।
याचिका में सलंग्न खबरों के अनुसार जांच में पता चला है कि कमीशन का यह खेल होटलों में चलता था। यहां पर स्कॉलरशिप जारी कराने की एवज में निजी संस्थान विभाग के अधिकारियों को कमीशन देते थे। सीबीआई अब यह पता लगा रही है कि इस खेल में कितने लोग शामिल थे और कमीशन कितने लोगों में बंटता था। इस बात की तस्दीक निजी शिक्षण संस्थानों के प्रबंधकों से पूछताछ में भी हो चुकी है। इसके बाद ही शिक्षा विभाग के अधीक्षक अरविंद राज्टा सीबीआई के रडार पर आए।
प्रारंभिक जांच में कई खुलासे
प्रकाशित खबरों के अनुसार प्रारंभिक जांच में सीबीआई ने बड़ा खुलासा किया है। केंद्रीय जांच एजेंसी को छानबीन में पता चला है कि शिक्षा विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों व निजी शिक्षण संस्थानों में छात्रवृत्ति हड़पने के लिए बाकायदा एक रैकेट चल रहा था। इसके लिए अधिकारी निजी शिक्षण संस्थानों को छात्रवृत्ति जारी करने के लिए १० फीसदी तक कमीशन लेते थे।
उच्चाधिकारियों तक नहीं पहुंचती थी फाइल
सीबीआई की जांच में यह भी पता चला है कि स्कॉलरशिप की स्वीकृति से संबंधित फाइलों को शिक्षा विभाग के उच्च अधिकारियों तक पहुंचने नहीं दिया जाता था। निचले स्तर के अधिकारी और कर्मचारी फाइलों को अपने स्तर पर ही मार्क कर देते थे। जांच में यह भी पता चला है कि नियमों के विपरीत निजी ई-मेल आईडी से छात्रवृत्ति के काम को अंजाम दिया जाता था।
पटवारी भर्ती की सुनवाई अब 29 नवंबर को
शिमला। पटवारी के 1,194 पदों के लिए हाल ही में हुई लिखित परीक्षा में बदइंतजामी का मामला बुधवार को प्रदेश हाईकोर्ट में गूंजा। मुख्य न्यायाधीश एल. नारायण स्वामी और न्यायाधीश ज्योत्सना रिवाल दुआ की खंडपीठ ने इस मसले पर राज्य सरकार से अगले दो दिन में स्टेटस रिपोर्ट पेश करने को कहा है। मामले की सुनवाई 29 नवंबर को होगी। बुधवार को सुनवाई के दौरान प्रार्थी पक्ष ने दलील दी कि पटवारी की परीक्षा देने से वंचित रहे परीक्षार्थियों ने न्यायालय से लिखित परीक्षा रद करने की गुहार लगाई है।
याचिकाकर्ताओं का आरोप है कि परीक्षा केंद्रों में बदइंतजामी के चलते सैकड़ों परीक्षार्थी परीक्षा नहीं दे पाए। कई परीक्षार्थियों को गलत परीक्षा केंद्र देने, दो-दो परीक्षार्थियों को एक ही रोल नंबर देने, प्रश्न पत्र में देरी जैसी घटनाएं होने से परीक्षा में बड़े स्तर पर गड़बडिय़ां हुई हैं। ऐसे में न्यायालय से परीक्षा रद करने का आग्रह याचिका में किया गया है।