नई दिल्ली: गर्भवती महिलाओं में रक्त की कमी एवं अन्य जटिलताओं से निबटने के लिए आयुर्वेदिक दवाओं के प्रभाव के बारे में सरकार एक अध्ययन करवाएगी। यह अध्ययन आयुष मंत्रालय के तहत आयुर्वेदिक अनुसंधान के लिए एक शीर्ष निकाय करेगी।
केन्द्रीय आयुर्वेदिक विज्ञान अनुसंधान परिषद (सीसीआरएएस) द्वारा किए जाने वाले इस अध्ययन में नौ हजार गर्भवती महिलाओं को शामिल किया जाएगा। सीसीआरएएस के उपमहानिदेशक डा.एन श्रीकांत ने बताया कि इस अध्ययन के तहत गर्भवती महिलाओं को जड़ी-बूटियों से बनी दवाइयां दी जाएगी, एक विशिष्ट आहार पर रखा जाएगा। गर्भावस्था के दौरान सूजन, कब्ज, मतली, पीठ में दर्द और खून की कमी जैसी विभिन्न जटिलताओं को रोकने के लिए आवश्यकता के अनुसार एक विशेष जीवन शैली का पालन किया जाएगा।
दो वर्षों तक चलने वाला यह अध्ययन महाराष्ट्र के गढ़चिरौली जिले के 30 प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल केंद्रों पर किया जाएगा।
श्रीकांत ने कहा, एक नवजात का सामान्य वजन 2.7 और 3.2 किलोग्राम के बीच होता है। यह सुनिश्चित करने के लिए बच्चे का जन्म सामान्य वजन में हो, माताओं को विभिन्न प्रकार की छह आयुर्वेदिक दवाएं दी जाती हैं।
अध्ययन के अपेक्षित परिणाम गर्भवती महिलाओं और उनके शिशुओं में जटिलताओं को कम कर रहे हैं। इस अध्ययन के प्रतिभागियों को दो समूहों में बांटा जाएगा। अध्ययन में शामिल महिलाओं की आयु 18 से 40 वर्ष तक है। आयुष मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि आयुर्वेद चिकित्सकों और वरिष्ठ अनुसंधानकर्ताओं, फार्मासिस्टों समेत परियोजना से जुड़े कर्मियों को पहले ही अध्ययन के उद्देश्य से प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों पर तैनात किया जा चुका है। उन्होंने कहा, हम इन महिलाओं को स्वच्छता और गर्भावस्था देखभाल पर स्वास्थ्य शिक्षा भी प्रदान करेंगे। अध्ययन दो साल तक चलेगा।