वरिष्ठ संवाददाता, शिमला
साइबर अपराधियों के निशाने अब पेंशन धारक है। वह पेंशनरों को जीवन प्रमाण पत्र अपडेट करने के बहाने ठगी का शिकार बना रहे हैं। ऐसे में हिमाचल पुलिस की और से एडवाइजरी जारी की गई है कि किसी भी तरह की जानकारी फोन पर किसी के साथ शेयर न करे। क्योंकि कोई भी बैंक या पेंशन निदेशालय की और से किसी भी तरह की जानकारी फोन पर नहीं ली जाती।
अगर किसी तरह की जानकारी चाहिए होती है तो फोन पर यह कहा जाता है कि वह कार्यालय आकर जमा करवाए या फिर ऑनलाइन इन्हें जमा करवाए।
जांच में यह सामने आया है कि साइबर अपराधियों के पास पेंशन धारकों का पूरा डेटा होता है, जिसमें नियुक्ति की तिथि, सेवानिवृति की डेट, पीपीओ नंबर, आधार कार्ड संख्या, स्थाई पता, ई-मेल आईडी, रिटायर होने के बाद मिलने वाली राशि, मासिक पेंशन, नॉमिनी की जानकारी होती है।
ऐसे में साइबर ठग इस पूरे डेटा के साथ पेंशनरों को कॉल करते है और उन्हें भरोसे में लेकर जीवन प्रमाण पत्र अपडेट करने के लिए ओटीपी सांझा करने को कहते है। ओटीपी शेयर करने के साथ ही पेंशनर ठगी का शिकार हो जाते है, खाते से सभी पैसे उसी समय गायब हो जाते हैं। ऐसे में पुलिस विभाग की और से एडवाइजरी जारी की गई है कि पेंशनर ऐसे किसी के बहकावे में आकर फोन पर किसी तरह की जानकारी सांझा न करे और किसी के साथ ओटीपी शेयर न करे।