राजेश कुमार/ राज शर्मा। धर्मशाला
अंतरराष्ट्रीय न्याय दिवस के मौके पर मैक्लोडगंज में रहने वाले निर्वासित तिब्बतियों ने धरना-प्रदर्शन करते हुए रैली निकाली। इस दौरान चीन सरकार और वहां के राष्ट्रपति शी जिनपिंग को जमकर कोसा और उनके खिलाफ नारेबाजी भी की। उन्होंने जिनपिंग को एक अतिवादी करार देते हुए उसे आम लोगों के मानव अधिकारों का हननकर्ता करार दिया।
इन संगठनों को लीड करने वाली तिब्बतियन महिला रिंझिंन ने बताया कि आज जहां पूरी दुनिया मानव अधिकारों की सपोर्ट करती है, वहीं चीन मानव अधिकारों की हमेशा खिलाफत करते आया है। रिंझिंन ने बताया कि तिब्बत में आज भी अगर कोई घर पर धर्मगुरु दलाईलामा की तस्वीर लगाता है, तो उसे 15 साल के लिए कैदी बनाकर जेल में डाल दिया जाता है। इतना ही नहीं यहां पर्यावरण को लेकर आंदोलन करने वालों को भी जेल की सलाखों के पीछे भेज दिया जाता है।
चीन ने इस प्रकार की प्रणाली के तहत न जाने कितने ही तिब्बतियों को आज जेल में बंद कर रखा है जो कि मानव अधिकारों का सरासर हनन है। रिंझिंन ने बताया कि वल्र्ड जस्टिस-डे के मौके पर उन्होंने दुनिया के तमाम दूतावासों को तिब्बत में मानव अधिकारों की बहाली समेत आजादी का समर्थन करने के लिए ज्ञापन भेजा है। उन्होंने साथ ही भारत और अमेरिका से भी आग्रह किया है कि तिब्बत की आजादी के लिए बड़े स्तर पर बात की जाए, ताकि धर्मगुरु दलाईलामा फिर से वापस तिब्बत जा सकें।